Tuesday, September 15, 2009

कितना मुश्किल है,

दिल के र्दर्द को छुपाना कितना मुश्किल है,
टूट कर फिर मुस्कराना कितना मुश्किल है ।
किसी के साथ दूर तक जाओ ,फिर अकेले आना कितना मुश्किल है

9 comments:

संगीता पुरी said...

सटीक !!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत सुंदर।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Unknown said...

सुन्दर अभिव्यक्ति है... बधाई...!!
http://nayikalam.blogspot.com/

निर्मला कपिला said...

बिलकुल सही कहा सुन्दर अभिव्यक्ति आभार्

महेन्द्र मिश्र said...

बहुत सटीक अभिव्यक्ति महाराज . बधाई.

योगेन्द्र मौदगिल said...

jai ho....

Creative Manch said...

बहुत सटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति

बधाई




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दिगम्बर नासवा said...

SUNDAR AUR SAHI KAHA HAI ....... KISI KE SAATH CHAL KAR VAAPAS AANA AASAAN NAHI .....

बवाल said...

ये र्दर्द क्या होता है भाई कोई नया फ़ण्डा आ गया है क्या आजकल ?