Tuesday, July 28, 2009

कितनो की तकदीर बदलनी है |
कितनो को सही रास्ते पर लाना है|
अपनी हाथ की लकीरॊ कॊ मत देखो |
तुम्हे तो लकीरो से भी आगे जाना है |


हमारे आंसू पोछ कर वो मुस्कराते है|
अपनी इसी अदा से बो दिल को चुराते है|
हाथ उनके छू जाये हमारे चेहरे को|
इसी उम्मीद मेहम बार बार खुद को रूलाते है ।


दिल की दुकान रूक सी गयी है |
सांसे मेरी थम सी गयी है |
दिल के डाक्टर से हमे पता चला |
इस दिल मे आपकी यादे जम सी है |