Monday, September 14, 2009

ये हकीकत है

ये हकीकत है कही खवाब तो नही,
हमे कोई याद करे ऎसी कोई बात नही ।
फिर भी ना जाने क्यू एह्सास हुआ,
जैसे किसी ने याद किया वो आप तॊ नही ।

5 comments:

हिन्दी साहित्य मंच said...

हाँ मै ही हूँ। सुन्दर शायरी

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर रचना.

रामराम.

Udan Tashtari said...

हम ही हैं भाई...सोच रहे हैं कि काम हुआ कि नहीं. और तुम बैठे शायरी कर रहे हो.

दिगम्बर नासवा said...

BAHOOT MAASUMIYAT SE POOCHA HAI SANJAY JI ...... KYA BAAT HAI ....

बवाल said...

हाय