Thursday, April 16, 2009

तुम गये कुछ दूर

तुम गये कुछ दूर मुझसे,मन उदास सा हो गया ,
याद आना दिल दुखाना,कितना खास सा हो गया ,
हा सुनता रोज था,चला जाऊँगा मै फिर एक दिन,
यूँ छोड़ कर तेरा जाना, अनायास सा हो गया ,
आने को जाते, तो बहला लेते हमीं खुद को
मझ लेते अब समीर इक आस सा हो गया.
ताकता आसूं बहाता मैं रह पाऊँगा कब तलक,
नाम तेरा जब भी आया, बदहवास सा हो गया.

7 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

याद मे आसूं बहाता मे कहा रह पाता हूं,
ओर तू भी याद करके खुद उदास सा हो गया ॥

बहुत खूबसूरत . शुभकामनाएं.

रामराम.

अनिल कान्त said...

behad khoobsurat ...bahut achchhi lagi

mehek said...

marmik sunder

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर।

Udan Tashtari said...

तु यार यूँ न सताना-अच्छा तरजुमा किया है विस्तार देकर...जल्दी मिलेंगे.

परमजीत सिहँ बाली said...
This comment has been removed by the author.
बाल भवन जबलपुर said...

kya bat hai kaviraj