अपनी पहली पुस्तक यूँ भी किसी लेखक के लिए एक अद्भुत घटना होती है और तिस पर से यह रोक कि परम्परानुसार बिना विमोचन आप इसे मित्रों को दे भी नहीं सकते. मन को मना भी लूँ तो हाथ को कैसे रोकूँ जो कुद कुद कर परिवार और मित्रों को पुस्तक पढ़वाने और वाह वाही लूटने को लालायित था.
याद आया कि मैने अपने पुत्र पर रोक लगाई थी कि बिना सगाई वधु के साथ घूमने नहीं जाओगे और सगाई हमारे आये बिना करोगे नहीं. बेटे ने तो़ड़ निकाली कि रोका का फन्कशन कर लेता हूँ फिर सगाई जब आप कनाडा से आ जायें तब. क्या अब घूम सकता हूँ? बेटा बाप से बढ़कर निकला और हम चुप. बस उसी को याद करते सुबीर जी को फोन लगाया. विमोचन कनाडा में हमारे गुरुदेव कम मार्गदर्शक कम मित्र कम अग्रज राकेश खण्डॆलवाल जी से ही करवाना है और इस बात पर मैं अडिग हूँ तो फिर पुस्तक कैसे बाटूँ?
अनुभवी पंकज सुबीर जी ने सोच विचार कर सलाह दी कि रोका टाइप एक अंतरिम विमोचन कर लिजिये और बांट दिजिये. मुख्य विमोचन कनाडा में कर लिजियेगा. बेटे को रोका जमा था और हमें ये.
आनन फानन, प्रमेन्द्र महाशक्ति इलाहाबाद से आ ही रहे थे, एक ब्लॉगर मीट रखी गई और वरिष्ट साहित्यकार आचार्य संजीव सलिल जी के कर कमलों से अन्तरिम विमोचन हुआ.
कार्यक्रम में आचार्य संजीव सलिल, प्रमेन्द्र, तारा चन्द्र, डूबे जी कार्टूनिस्ट, गिरिश बिल्लोर जी, संजय तिवारी संजू, बवाल, विवेक रंजन श्रीवास्तव, आनन्द कृष्ण, महेन्द्र मिश्रा और मैं उपस्थित था. संजीव जी ने विमोचन किया और सभी ने किताब से एक एक रचना पढ़ी. शिवना प्रकाशन के भाई पंकज सुबीर, रमेश हटीला जी, छबी मिडिया के बैगाणी बंधुओं का विशेष आभार व्यक्त किया गया.
इस अवसर पर लिए गये कुछ चित्र और विस्तृत रिपोर्ट महेन्द्र मिश्रा जी प्रस्तुत कर ही चुके हैं.
वैसे बवाल की कव्वाली, विवेक जी और गिरिश बिल्लोरे जी कविता ने कार्यक्रम का समा बांध दिया.



12 comments:
जानकारी के लिए धन्यवाद ... समीर लाल जी को बधाई।
भाई संजू जी
बहुत बढ़िया प्रस्तुतीकरण है . बाकी कमी आपने पूरी कर दी आभार.
बहुत विस्तृत जानकारी दी जी आपने और बडे ही रोचक शब्दों मे लिखा. धन्यवाद.
रामराम.
समीर लाल जी को प्रथम कविता-संग्रह के प्रकाशन पर बहुत-बहुत बधाई!
आपने कार्यक्रम का सजीव चित्रण किया, पढ़ कर कार्यक्रम की याद ताजा हो गई।
बधाई गुरुवर को किताब के प्रकाशन पर!
समीर लाल जी को प्रथम कविता-संग्रह के प्रकाशन पर बहुत-बहुत बधाई!
Regards
GURU DEV PANKAJ SUBEER JI KE SAATH SAATH AAP SABHI KO TATHA KHAS TAUR SE SAMEER LAAL JI KO DHERO BADHAAYEE...
ARSH
यह रोका नहीं, शादी ही है। बस गौना बाकी है। समीर जी को बधाई।
समीर जी
पहले आपको 'बिखरे मोती' के अंतरिम विमोचन पर बधाई देता हूं।
दूसरे, मैंने अभी 'सुबीर संवाद सेवा' के ८ अप्रेल की पोस्ट पर अपनी टिप्पणी दी है लेकिन लगता है सुबीर जी की मोहर लगने की कतार में है। जब टिप्पणी आजाए तो अवश्य पढ़ें।
शुभकामनाओं सहित
महावीर शर्मा
सूचना
यह पोस्ट आपसे सम्बन्धित है इस लिये भेज रहा हूँ
http://pramendra.blogspot.com/2009/04/blog-post_14.html
Wah kitanee der chalee thee
kitanee door tak chali thee baat
mujhe har pal hai yad
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