इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ट चिट्ठाकार समीर लाल, उड़न तश्तरी जी ने अपने उदबोधन से सबका ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने चिट्ठों और चिट्ठाकारी के लाभ, हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान पर प्रकाश डाला एवं उपस्थित सभी साहित्यकारों को चिट्ठाविश्व में आमंत्रित किया एवं इस हेतु किसी भी मदद के लिए अपने एवं अन्य चिट्ठाकारों के योगदान की पेशकश की. अपने उदबोधन के समापन में उन्होंने अपना मधुर गीत प्रस्तुत करके श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया.
प्रेम फरुख्खाबादी, शैली खत्री, गिरिश बिल्लोरे, डॉ गार्गी शंकर मिश्र ’मराल’, नलिन सूर्यवंशी ’ताज’, विजय नेमा, श्री ओंकार ठाकुर, आचार्य भगवत दुबे, आचार्य हरि शंकर दुबे, श्री विजय तिवारी ’किसलय’, दीपक आदि ने जहाँ एक ओर अपनी कविताओं और गज़लों का समा बाँधा, वहीं बवाल ने अपने अनोखे अंदाज में गीत प्रस्तुत किये. प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट राजेश दुबे ’डूबे जी’ ने कागज पेन्सिल के आभाव में हवा में ही कार्टून खींचने की पेशकश की. :)
कार्यक्रम का संचालन जाने माने मंच संचालक श्री राजेश पाठक ने किया.
अंत में स्वादिष्ट भोजन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
इसी अवसर की कुछ तस्वीरें:
चित्र साभार: संजय तिवारी ’संजू’
6 comments:
सफल आयोजन के लिये बाधाई..
"स्वादिष्ट भोजन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ" ये अच्छा है..
बधाई, ऐसे ही समारोह होते रहे अच्छा लगता है!
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चाँद, बादल और शाम
अच्छी रिपोर्टिंग की..ऐसे ही लगे रहो. शुभकामनाऐं.
बधाई..
उत्तम.
achchi post hai. maine aaj dekha.dhanywad
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