संजय के संदेश...
वाह वाह, सच्ची मुहब्बत लगती है.रामराम
कभी कभार काफ़ी हाउस मे मिल जाया कीजिये भाई अति सुन्दर
वाह! साब बहुत बढ़िया कविता हैं आपकी।और इतनी लघु कि एसएमएस तक पर आ जाती हैं और हम दोस्तों से शेयर कर लेते हैं। अन्यथा न लें कृपया।
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3 comments:
वाह वाह, सच्ची मुहब्बत लगती है.
रामराम
कभी कभार काफ़ी हाउस मे मिल जाया कीजिये भाई
अति सुन्दर
वाह! साब बहुत बढ़िया कविता हैं आपकी।
और इतनी लघु कि एसएमएस तक पर आ जाती हैं और हम दोस्तों से शेयर कर लेते हैं। अन्यथा न लें कृपया।
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