समीर लाल जी के नित नये रंग देखने मिलते हैं, उसी कड़ी में इसे जोड़ कर देखें. उनकी बहुमुखी प्रतिभा बरबस ही आकर्षित करती है कि एक व्यक्ति और रंग अनेक.
प्रणाम करता हूँ समीर जी आपको.
समीर जी से निवेदन है कि स्नेहाशीष बनाये रखिये हमेशा की तरह.
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5 comments:
बहुत ही लाजवाब गीत है वो और समीरजी तो हर विधा मे माहिर और सबके प्रेरणाश्रोत हैं.
रामराम.
लिंक के लिए धन्यवाद .. सचमुच बहुत सकारात्मक गीत है।
...bahut khoob !!!
वाह... वाह-वाह... वाह-वाह-वाह....
Bahut Sundar sir.
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